Thursday, August 13, 2009

आ कि मेरी जान में क़रार नहीं है...

आ कि मेरी जान में क़रार नहीं है
ताक़त-ए-बेदाद-ए-इन्तज़ार नहीं है
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देते हैं जन्नत हयात-ए-दहर के बदले
नशा बाअन्दाज़ा-ए-ख़ुमार नहीं है
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गिरिया निकाले है तेरी बज़्म से मुझको
हाय! कि रोने पे इख़्तियार नहीं है
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हम से अबस है गुमान-ए-रंजिश-ए-ख़ातिर
ख़ाक़ में उश्शाक़ की ग़ुबार नहीं है
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दिल से उट्ठा लुत्फ़-ए-जलवा हाय म‍आनी
ग़ैर-ए-गुल आईना-ए-बहार नहीं है
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क़त्ल का मेरे किया है अहद तो बारे
वाये! अगर अहद उस्तवार नहीं है
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तूने क़सम मयकशी की खाई है ग़ालिब
तेरी क़सम का कुछ ऐतबार नहीं है
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क़रार-Rest, बेदाद-Injustice, हयात-Life, दहर-World, बाअन्दाज़ा-According to, ख़ुमार-Intoxication,
गिरिया-Weeping, इख़्तियार-Control, अबस-Indifferent, गुमान-Suspicion, उश्शाक़-Lovers, ग़ुबार-Clouds of Dust,
म‍आनी-Meanings, ग़ैर-ए-गुल-Other than blossoms, अहद-Promise, बारे-at last, उस्तवार-Firm/Determined,
मयकशी-Boozing, ऐतबार-Trust/Faith

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