Thursday, September 10, 2009

बस कि दुश्‍वार है...

बस कि दुश्‍वार है हर इक काम का आसां होना
आदमी को भी मयस्सर नहीं इन्सां होना
--
गिरिया चाहे है ख़राबी मेरे काशाने की
दर-ओ-दीवार से टपके है बयाबां होना
--
वा-ए-दीवानगी-ए-शौक़ कि हर दम मुझको
आप जाना उधर और आप ही हैरां होना
--
जलवा अज़_बस कि तक़ाज़ा-ए-निगाह करता है
जौहर-ए-आईना भी चाहे है मिज़ग़ां होना
--
इशरत-ए-क़त्लगाह-ए-अहल-ए-तमन्ना मत पूछ
ईद-ए-नज़्ज़ारा है शमशीर का उरियां होना
--
ले गये ख़ाक में हम दाग़-ए-तमन्ना-ए-निशात
तू हो और आप बा_सद_रंग-ए-गुलिस्तां होना
--
इशरत-ए-पारा-ए-दिल, ज़ख़्म-ए-तमन्नाख़ाना
लज़्ज़त-ए-रीश-ए-जिगर, ग़र्क़-ए-नमकदां होना
--
की मेरे क़त्ल के बाद उसने जफ़ा से तौबा
हाय उस ज़ोद-ए-पशेमां का पशेमां होना
--
हैफ़ उस चार गिरह कपड़े की क़िस्मत ग़ालिब
जिसकी क़िस्मत में हो आशिक़ का गरेबां होना

-------------------------------------------------------------------

दुश्‍वार=Difficult, मयस्सर=Possible, गिरिया=Weeping, काशाना=Small House, बयाबां=Wilderness,

अज़_बस=Intensely, जौहर=Skill, मिज़ग़ां=Eyelid, इशरत=Joy/Delight, शमशीर=Sword, उरियां=Naked/Bare, निशात(or नशात)=Enthusiasm/Happiness, सद_रंग=Hundred colors,

पारा=Fragment, लज़्ज़त=Taste, रीश=Wound, ग़र्क़=Drown/Sink, नमकदां=Salt Container, ज़ोद=Quickly, पशेमां=Ashamed/Embarrassed, हैफ़=Alas, गिरह=One sixteenth of a yard, गरेबां=Collar

Wednesday, September 2, 2009

बहुत सही ग़म-ए-गेती शराब कम क्या है...

बहुत सही ग़म-ए-गेती शराब कम क्या है
ग़ुलाम-ए-साक़ी-ए-कौसर हूं मुझको ग़म क्या है
--
तुम्हारी तर्ज़-ओ-रविश जानते हैं हम क्या है
रक़ीब पर है अगर लुत्फ़ तो सितम क्या है
--
सुख़न में ख़ामा-ए-ग़ालिब की आतिश_अफ़शानी
यक़ीं है हमको भी लेकिन अब उसमें दम क्या है

--------------------------------------------------------
ग़म-ए-गेती=Sorrows of the World,
ग़ुलाम-ए-साक़ी-ए-कौसर=Servant of the person who serves drinks from 'kausar', a river which flows in heaven,
तर्ज़-ओ-रविश=Behavior and Character, रक़ीब=Rival, लुत्फ़=Bnevolence, सितम=Torture, सुख़न=Poem,
ख़ामा-ए-ग़ालिब=Ghalib's Pen, आतिश_अफ़शानी=To Pour Fire, यक़ीं=Trust, दम=Pride

Tuesday, September 1, 2009

दायम पड़ा हुआ तेरे दर पर नहीं हूं मैं....

दायम पड़ा हुआ तेरे दर पर नहीं हूं मैं
ख़ाक ऐसी ज़िन्दगी पे कि पत्थर नहीं हूं मैं
--
क्यूं गर्दिश-ए-मुदाम से घबरा ना जाये दिल
इन्सान हूं प्याला-ओ-साग़र नहीं हूं मैं
--
या रब ज़माना मुझको मिटाता है किसलिये
लौह-ए-जहां पे हर्फ़-ए-मुक़र्रर नहीं हूं मैं
--
हद चाहिये सज़ा में उक़ूबत की वास्ते
आख़िर गुनाहगार हूं काफ़िर नहीं हूं मैं
--
किस वास्ते अज़ीज़ नहीं जानते मुझे
लाल-ओ-ज़ुमरूद-ओ-ज़र-ओ-गौहर नहीं हूं मैं
--
रखते हो तुम क़दम मेरी आंखों से क्यूं दरेग़
रुतबे में महर-ओ-माह से कमतर नहीं हूं मैं
--
करते हो मुझको मना-ए-क़दम_बोस किसलिये
क्या आसमां के भी बराबर नहीं हूं मैं
--
’ग़ालिब’ वज़ीफ़ाख़्वार हो दो शाह को दुआ
वो दिन गते कि कहते थे नौकर नहीं हूं मैं
------------------------------------------------------------------------------
दायम=Forever, गर्दिश=Bad Luck, मुदाम=Always, हर्फ़=Alphabet, मुकर्रर=Again
उक़ूबत=Pain, लाल=Ruby, ज़ुमरूद=Emerald, ज़र=Gold, गौहर=Pearl,
दरेग़=Concealed, महर=Sun, माह=Moon, बोसा=Kiss, वज़ीफ़ाख़्वार=Pensioner